क्या करूँ
ये पड़ा है शब्दों का ढेर धूल में अटा हुआ
ये रहा कोरा पन्ना
कौन सा शब्द चुनूँ जिसमें अर्थ बचा हो!!
ये रही मेरी आवाज रिरियाती हुई
किस स्वर में पुकारूँ जो फर्क पैदा करे
ये मेरा दिमाग खाली घड़े सा
किस डंडी से पीटूँ कि टंकार तुम तक पहुँचे
और यह दिल लहूलुहान
कोई दवा दूँ या रहने दूँ
ये रहे मेरे हाथ
बढ़ाऊँ कि जोड़ूँ